अर्थक्रान्ति

  #अर्थक्रान्ति - मोदी का हाइड्रोजन बम और राजनीति    -  #AnujAgarwal

मोदी सरकार की कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक ने भाजपा नेताओ सहित सभी राजनितिक दलो के नेताओं की जमीन क्या अस्तित्व ही हिला दिया है। देश में व्यक्तित्व और व्यक्तिवाद की राजनीति में जहाँ पार्टी के कुछ ही नेता सब कुछ होते गए और देश की राजनीति के साथ ही अर्थव्यवस्था की भी धुरी बनते गए। देश की सभी प्रमुख राष्ट्रिय और क्षेत्रीय राजनितिक दलो के अध्यक्ष और प्रमुख नेता 10 - 20 हज़ार करोड़ से लेकर 10-20 से लेकर 50 लाख करोड़ तक के बिजनेस साम्राज्य के मालिक हें। इस समय अधिकांश छुटभैय्ये नेता भी 5-7 करोड़ के और विधायक व सांसद तो सौ से हज़ारों करोड़ तक की औकात वाले हें। देश के प्रमुख उद्योगों और व्यापार पर तो उनका कब्जा है ही, उससे कई गुना खेल विदेशो में है। इनकी सेकड़ो कंपनियो में प्रतिदिन कमीशन, रिश्वत और घोटालॉ की काली कमाई को सफ़ेद बनाने का काम चलता रहता है। देश के सेकड़ो नोकरशाह, सरकारी कर्मचारी और न्यायधीश के साथ ही दलाली और मीडिया से जुड़े लोग भी इसी राह पर हें। इसके साथ ही कर चोरी के उस्ताद उद्योगपति और व्यापारी तो हें ही। इन सभी लोगो के पास देश में मौजूद करेंसी का 90% तो है ही साथ ही 5 लाख करोड़ की जाली करेंसी भी है जो ये अपने गुर्गो यानि आतंकियों, नक्सलियों, ड्रग्स व् पोर्न माफिया, शराब व सट्टा माफिया के माध्यम से देशभर में फैलाकर मोटा माल कमाते हें।
  राजनितिक रूप से नरेंद्र मोदी ने तात्कालिक रूप से पार्टी के भीतर और सभी विपक्षी नेताओ को भिखारी बना दिया है। अब चुनाव व्यापर नहीं बन पायेगे। धीरे धीरे सेकडों राजनितिक दल बंद हो जायेगे, नकद और शराब बॉटनी बंद हो जायेगी, टिकिट खरीदने व बेचने का खेल खत्म, चुनावी चंदा चेक से मिलना शुरू हो जायेगा।वास्तव में देश आर्थिक सुधारो के साथ ही बड़े राजनितिक सुधारों के मोड़ पर है। अब निकट भबिष्य में कोई भी न तो मोदी को आँख दिखाने लायक बचा और न ही चुनोती देने लायक।  फिलहाल तो सभी अपने काले धन को सफ़ेद बनाने में लगे हें। इस प्रक्रिया में सरकार यानि जनता की बल्ले बल्ले तय है।
एक और जहाँ देश में विघटनकारी ताकतों की कमर ही टूट यी वहीँ सट्टा, देसी और विदेशी हवाला, ड्रग्स व् शराब माफिया, नकली नोटों के सौदागरों का खेल ही खत्म हो गया। अब देश में धर्म परिवर्तन और अल्पसंख्यक धार्मिक कट्टरपंथ को पनपना मुश्किल हो जायेगा। देश के कई राज्यो के राजनेताओ जिनका परोक्ष समर्थन और जुड़ाव इस नेटवर्क से था उनकी राजनीति ही अनिश्चितता की और है। अब देश की राजनीति में नये और जमीनी नेताओ को जगह मिलना तय है क्योकि पैसे वाले लोगो की अब राजनीति में अधिक रूचि नहीं बचेगी। ऐसे ही सरकारी नोकरी भी अब आकर्षक रोजगार नहीं रहेगी। अब भाजपा सहित सभी दलोँ के नेता अपने अपने समर्थको को कालाधन बाँट रहे हें जो मोदी सरकार के द्वारा खोले गए 25 करोड़ से अधिक जनधन योजना के खातों में आना तय है। यह भगवा समाजवाद या एकात्म मानवतावाद का नया प्रयोग दुनिया के सामने आएगा।
अब वेध व्यापार करने वाले और आयकर रिटर्न दाखिल करने वालो की संख्या 4 से 5 गुना तक बढ़ना तय है और सरकार की टैक्स  वसूली दुगने तक हो जायेगी। यानि 12 से 15 लाख करोड़ की ज्यादा वसूली यानि योजनागत खर्च में जबरदस्त वृद्धि। अब नया कालाधन बनना 80% तक कम हो जायेगा। कम कर, अधिक सुविधाएं, जन कल्याण के ज्यादा कार्य और गरीब व मध्यम वर्ग के जीवन स्तर में आशातीत सुधार। मकानो के रेट एक झटके में आधे हो चुके हें और महंगाई 20 प्रतिशत तक कम होती जायेगी।
भारत की चीन, अरब, यूरोप और अमेरिका पर निर्भरता घटना अब तय है। इससे देसी उद्योग व्यापार में जबरदस्त वृद्धि तय है, जिससे भारी मात्रा में रोजगार पैदा होंगे। अनेक कर चोरो की अकाल मौत की खबरे आनी शुरू हो गयी हें, सरकारी कर्मचारी, नेता और व्यापारी बदहवास है और अपने कालेधन को ठिकाने लगाने की असफल कोशिश कर रहा है। अब अधिक अखबारों और मीडिया हाउसों की जरूरत ही नहीं होगी क्योकि व्यवस्था पारदर्शी होती जा रही है जिसमे घोटालो और लूट की गुंजाईश कम हो गयी है और इसलिए मीडिया के माध्यम से लॉबिंग भी अब जरूरी नहीं। टैक्स चुकाओ और मस्त होकर काम धंधा करो , मोदी के हाइड्रोजन बम जिसने लुटेरों और कालेधन के जमाखोरों की ऑक्सीजन छीनकर यही संदेश दिया है। निश्चित रूप से यह कालेधन की समस्या का अंतिम समाधान नहीं है किंतू अर्थक्रान्ति लाने और मौलिक भारत के निर्माण की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।
अनुज अग्रवाल
संपादक, डायलॉग इंडिया
महासचिव, मौलिक भारत
 

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